हिंसा में शामिल नहीं थे जामिया के छात्र, असामाजिक तत्वों की करतूत : दिल्ली पुलिस

नागरिकता कानून पर हिंसा मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और छात्रों को फिलहाल क्लीन चिट मिल गई है। दिल्ली पुलिस की ओर से गृहमंत्रालय को सौंपी शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि जामिया कैंपस में फैली हिंसा में स्थानीय असामाजिक तत्वों का हाथ है। 


 

इस मामले में अबतक हुई 10 लोगों की गिरफ्तारी में कोई भी जामिया का छात्र नहीं है। मंत्रालय ने साफ किया कि इस घटना में पुलिस की तरफ से एक भी गोली नहीं चली। पुलिस ने भीड़ को काबू करने  के लिए सिर्फ टीयरगैस सेल का इस्तेमाल किया था।

मंगलवार को मंत्रालय के और दिल्ली पुलिस के उच्चअधिकारियों की ओर से की गई ब्रीफिंग में बताया गया कि देश के इस मामले में विदेशी या राजनीतिक हाथ होने के नजरिए से भी अंदरूनी जांच चल रही है। 

मंत्रालय ने बताया कि  देश के 42 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ है। सिर्फ जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मामला हिंसक हो गया। इन दोनों संस्थानों के इम्तिहान की तारीखों में फेरबदल किया गया है। बाकी सभी विश्वविद्यालयों के इम्त्हिन तय समय पर ही हो रहे हैं। 

दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी ने बताया कि जामिया हिंसा के दौरान तीन लोग गोली लगने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे थे। इनमें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती दो को गोली लगी है जिसकी जांच चल रही है। 

होली फैमिली अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति की जांच से पता चला है कि उसे गोली नहीं लगी। वह किसी और वजह से घायल हुआ था। इस बात की जांच चल रही है कि इन दोनों को गोली किसकी और कैसे लगी। 

पुलिस के मुताबिक घटनास्थल से गोली का एक खोखा बरामद हुआ है। इसकी जांच भी चल रही है कि हिंसा फैलाने वाले असामाजिक तत्व की तरफ से हालात और बिगाड़ने के लिए गुपचुप तरीके से गोली चला कर हुई और सारी तोहमद पुलिस पर मढ़ दी गई।